आज दुनियाभर में वर्ल्ड टॉयलेट डे मनाया जा रहा है। शौचालय के महत्व को बताने के लिए इस दिन की शुरुआत सिंगापुर के निवासी जैक सिम ने की थी। उनकी कोशिशों के बाद संयुक्त राष्ट्र ने 2013 में 19 नवंबर को वर्ल्ड टॉयलेट डे मनाने की मान्यता दी थी। जैक सिम की संस्था वर्ल्ड टॉयलेट ऑर्गनाइजेशन 2001 से ही इसे मना रही थी। जैक ने भास्कर प्लस ऐप से कहा कि खुले में शौच की वजह से होने वाली बीमारियों से हर साल 6 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इनमें से 60% मौतें अकेले भारत में होती हैं। पिछले 5 साल में शौचालय को लेकर भारत में काफी काम हुआ है और सरकारी आंकड़ों की मानें तो अब 100% लोगों के पास शौचालय की सुविधा है।
सेनिटेशन और टॉयलेट पर कोई बात नहीं करता, इसलिए यह दिन शुरू किया- जैक
- जैक सिम बताते हैं, 'जो चीज सबसे ज्यादा जरूरी है, उसे उतना ही नजरअंदाज किया जाता है। टॉयलेट और सेनिटेशन (स्वच्छता) सबसे जरूरी चीज है, लेकिन हम इसे इतना घृणित मानते हैं कि चर्चा भी नहीं करते। अगर हम चर्चा नहीं करेंगे तो हम सुधार भी नहीं ला सकते। मैंने महसूस किया कि मैं ऐसे गंभीर मुद्दों को तथ्यों के साथ लोगों के सामने पेश करूंगा, तो लोग इस पर ध्यान देंगे और ऐसा हुआ भी।'
- जैक कहते हैं- मैं जब 40 साल का था, तब मैं पैसा कमाना चाहता था। लेकिन, फिर मैंने महसूस किया कि लोग करीब 80 साल तक ही जी पाते हैं। इस हिसाब से मेरे पास सिर्फ 14,600 दिन बचे हैं और इतने कम दिनों में पैसा कमाना घाटे का सौदा है, क्योंकि पैसे ज्यादा मूल्यवान समय है। इसलिए मैंने अपने समय को मानवता की सेवा करने में इस्तेमाल किया और सबसे अच्छी सेवा क्या है? जिसे सबसे ज्यादा उपेक्षित किया गया यानी टॉयलेट, सेनिटेशन और हाईजीन।"
दुनिया की स्थिति : 2 अरब लोगों के पास अभी भी टॉयलेट नहीं
- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, दुनिया की 74% आबादी (5.5 अरब लोग) बेसिक सेनिटेशन सर्विस का इस्तेमाल कर पाती है। 2 अरब लोगों के पास टॉयलेट की सुविधा नहीं है। उन्हें सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल करना पड़ता है। 67.3 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो आज भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं।
- जैक कहते हैं, "सेनिटेशन की समस्या लोग हल नहीं कर सकते, क्योंकि वे इसके बारे में सोचते ही नहीं हैं। वे इन चीजों को वर्जित विषय मानते हैं। जैसे ही लोग अपने स्वास्थ्य, सुरक्षा और गरिमा को लेकर जागरूक होंगे, वे अपने लिए टॉयलेट बनवाएंगे। आज सेलफोन का ट्रेंड चल रहा है, वैसे ही भविष्य में टॉयलेट का ट्रेंड भी आएगा। खुले में शौच करने से बलात्कार की घटनाएं बढ़ती हैं। डायरिया जैसी खतरनाक बीमारियां होती हैं और इससे लोगों की आय में कमी आती है। नदियां प्रदूषित होती हैं।"